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शनिवार, 10 अगस्त 2024

लौट के मालदीव भारत आये मालदीव का चाइना से हुआ मोह भंग

लौट के मालदीव भारत आये मालदीव का चाइना से हुआ मोह भंग





We News 24 Digital / रिपोर्टिंग सूत्र /गौतम कुमार 

नई दिल्ली:- विदेश मंत्री एस जयशंकर मालदीव के दौरे पर हैं। शुक्रवार को उन्होंने राजधानी माले में अपने समकक्ष मूसा ज़मीर से मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं ने उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया और सहमति पत्रों का आदान-प्रदान किया। इस मुलाकात के बाद विदेश मंत्री ने कहा कि मालदीव के साथ भारत की साझेदारी एक-दूसरे के कल्याण और हितों के लिए मिलकर काम करने की गहरी इच्छा पर आधारित है। विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि माले के साथ भारत के संबंध हमारी 'पड़ोसी पहले' नीति की नींव में से एक हैं।


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विदेश मंत्री मालदीव के तीन दिवसीय दौरे पर हैं

आपको बता दें कि मालदीव के निमंत्रण पर विदेश मंत्री एस जयशंकर शुक्रवार को तीन दिवसीय यात्रा पर माले पहुंचे। इस यात्रा से द्विपक्षीय संबंधों में सुधार आएगा। विदेश मंत्री की यह यात्रा पिछले साल चीन समर्थक राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़ू के पदभार संभालने के बाद मालदीव की पहली यात्रा है। इससे पहले मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़ू पीएम के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने दिल्ली आए थे। जो दोनों देशों के बीच तनाव के बाद उनकी पहली यात्रा थी।




मालदीव संबंधों पर क्या बोले विदेश मंत्री

मालदीव के अपने समकक्ष मूसा जमीर से मुलाकात के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मीडिया से बात की। इस दौरान उन्होंने कहा, "मालदीव के साथ भारत की साझेदारी एक-दूसरे के कल्याण और हितों के लिए मिलकर काम करने की हमारी गहरी इच्छा पर आधारित है।" उन्होंने आगे कहा कि यह एक ऐसी साझेदारी है जिसने हमें हमेशा चुनौतियों का त्वरित और प्रभावी ढंग से जवाब देने में सक्षम बनाया है, जो पहले भी देखा गया है।


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विदेश मंत्री ने कहा कि मालदीव हमारी नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी की आधारशिलाओं में से एक है, यह हमारे विजन सागर के साथ-साथ ग्लोबल साउथ के प्रति हमारी प्रतिबद्धता के लिए भी महत्वपूर्ण है। विदेश मंत्री ने कहा कि हम इतिहास और रिश्तेदारी के सबसे करीबी सहयोगी भी हैं।


मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद तनाव बढ़ा

बता दें कि मोहम्मद मुइज्जू को चीन का समर्थक माना जाता है। उन्होंने नवंबर 2023 में मालदीव के राष्ट्रपति का पदभार संभाला था। उनके राष्ट्रपति बनने के बाद भारत और मालदीव के रिश्तों में दरार आ गई थी। हालांकि, कुछ महीनों बाद मुइज्जू को एहसास हुआ कि भारत के साथ रिश्ते खराब करने से उन्हें कुछ हासिल नहीं होगा, बल्कि इससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान ही होगा।


इसके बाद मुइज्जू के तेवर बदल गए और वे जून में पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने दिल्ली भी आए। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि यह यात्रा दोनों देशों द्वारा मिलकर हासिल की गई उपलब्धियों की समीक्षा करने और आने वाले वर्षों के लिए आकांक्षापूर्ण खाका तैयार करने का अवसर है। 

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