We News 24 » रिपोर्टिंग सूत्र / काजल कुमारी
नई दिल्ली:- सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को बुलडोजर एक्शन से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि अतिक्रमण करके बनाई गई किसी भी धार्मिक इमारत को हटाया जाना चाहिए। जस्टिस गवई की बेंच ने कहा कि सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि है, इसलिए सड़क, जल निकायों या रेल पटरियों पर बने किसी भी धार्मिक ढांचे को हटाना जरूरी है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, इसलिए बुलडोजर कार्रवाई और अतिक्रमण विरोधी अभियान के निर्देश सभी नागरिकों के लिए होंगे, चाहे वे किसी भी धर्म को मानने वाले हों।
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच के सामने दलीलें दीं। उन्होंने कहा कि बुलडोजर कार्रवाई से पहले नोटिस दिया जाना चाहिए और नोटिस मिलने के 10 दिन बाद ही कार्रवाई होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल की दलील पर कहा कि हम एक धर्मनिरपेक्ष देश में रहते हैं और अतिक्रमण वाली जमीन पर बनी किसी भी इमारत को हटाना होगा। जस्टिस गवई ने कहा कि साल में 4-5 लाख बुलडोजर कार्रवाई होती हैं, जिनमें से मात्र दो प्रतिशत मामले ही विवादित होते हैं।
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जस्टिस गवई ने यह भी कहा कि तोड़फोड़ की कार्रवाई का विरोध करने वालों को समय दिया जाना चाहिए ताकि वे वैकल्पिक व्यवस्था कर सकें। उन्होंने अनधिकृत निर्माण के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल बनाने का भी निर्देश दिया, ताकि जानकारी डिजिटलाइज हो सके और रिकॉर्ड बने।
यह मामला साल 2022 से जुड़ा है, जो अगस्त 2023 में सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान की कई संस्थाओं ने अपने खिलाफ हुई कार्रवाई का जिक्र किया और न्याय मांगने के लिए याचिकाएं दाखिल कीं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 1 अक्टूबर तक बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी थी।
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