We News 24 » रिपोर्टिंग सूत्र / अंजली कुमारी
नई दिल्ली :- आज से संसद का शीतकालीन सत्र आरंभ हो गया है, जो 25 नवंबर से 20 दिसंबर तक चलेगा। इस सत्र के दौरान कुल 19 बैठकें निर्धारित की गई हैं, और सरकार ने विचार के लिए वक्फ (संशोधन) विधेयक सहित 16 विधेयकों को सूचीबद्ध किया है। वर्तमान में लोकसभा में 8 और राज्यसभा में 2 विधेयक लंबित हैं।
शीतकालीन सत्र की शुरुआत पर प्रधानमंत्री का संबोधन
सत्र से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद भवन के हंस द्वार से संबोधित करते हुए इसे "विशेष सत्र" बताया। उन्होंने कहा कि यह सत्र भारत के संविधान के 75 वर्षों की यात्रा का प्रतीक है और लोकतंत्र के लिए एक "उज्ज्वल अवसर" है। प्रधानमंत्री ने संविधान निर्माताओं को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने एक ऐसा दस्तावेज दिया, जिसने देश को प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ाया।
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लोकतांत्रिक प्रक्रिया और सांसदों के अधिकार
प्रधानमंत्री ने संसद में स्वस्थ चर्चा की आवश्यकता पर बल दिया और आग्रह किया कि नए सांसदों को अपनी बात रखने का पर्याप्त अवसर मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक स्वार्थ के चलते संसद की कार्यवाही बाधित की जाती है, जिससे न केवल लोकतंत्र को नुकसान होता है बल्कि नए विचार और नई ऊर्जा भी दब जाती है। पीएम ने कहा, "लोकतंत्र में जनता की भावनाओं का आदर करना सभी की जिम्मेदारी है।"
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2024 चुनाव और जनता की उम्मीदें
प्रधानमंत्री ने 2024 के आगामी चुनावों का जिक्र करते हुए कहा कि जनता ने राज्यों और केंद्र में स्थिरता और प्रगति को बढ़ावा दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि विश्व भारत को आशाभरी नजर से देख रहा है और हमें इसके लिए पूरी तैयारी करनी चाहिए।
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विपक्ष पर निशाना
प्रधानमंत्री ने विपक्ष के कुछ सदस्यों पर संसद की कार्यवाही बाधित करने का आरोप लगाया और कहा कि जनता उनके व्यवहार का आकलन करती है और बार-बार उन्हें नकारती है। उन्होंने विपक्ष से आग्रह किया कि वे सदन को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग करें और लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान करें।
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सत्र की संभावनाएं और चुनौतियां
इस शीतकालीन सत्र के दौरान कई महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा की संभावना है। साथ ही, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार और विपक्ष के बीच सदन की कार्यवाही कितनी सुचारू रहती है।
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