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सोमवार, 25 नवंबर 2024

पंजाब से मुक्त कराए गए 9 प्रवासी मजदूर, सुरक्षित घर लौटे सीतामढ़ी




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We News 24 » रिपोर्टिंग सूत्र असफाक खान 



सीतामढ़ी:- जिले के सुरसंड के मेघपुर गांव के 9 मजदूर, जिन्हें पंजाब के कपूरथला में एक आलू फार्म में बंधक बनाकर अमानवीय परिस्थितियों में काम कराया जा रहा था, अब सुरक्षित अपने घर लौट आए हैं। इन मजदूरों को ठेकेदार ने दो महीने से वेतन नहीं दिया था और उनसे 16-17 घंटे प्रतिदिन काम कराया जा रहा था।




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मामले की जानकारी मिलते ही सीतामढ़ी श्रम संसाधन विभाग, जिला प्रशासन, पुलिस और एसोसिएशन फॉर वॉलंटरी एक्शन (बचपन बचाओ आंदोलन) ने समन्वित प्रयास शुरू किए। पंजाब के कपूरथला प्रशासन के सहयोग से इन मजदूरों को मुक्त कराया गया। मुक्त कराए गए 9 मजदूरों में 4 नाबालिग बच्चे भी शामिल थे।  इन्हें विशेष ट्रेन "जननायक एक्सप्रेस" से मुजफ्फरपुर लाया गया और फिर विभागीय वाहन से सीतामढ़ी पहुंचाया गया।



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मुक्ति और पुनर्वास

मुक्त किए गए 4 नाबालिग बच्चों को बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया और नियमानुसार आवश्यक सहायता प्रदान की गई। वहीं, 5 वयस्क मजदूरों को सुरक्षित उनके घर तक पहुंचाया गया। श्रम विभाग द्वारा इन बच्चों और मजदूरों को सरकारी योजनाओं जैसे मुख्यमंत्री राहत कोष, स्कूल नामांकन, राशन कार्ड और आवास योजना का लाभ दिलाने की प्रक्रिया शुरू की गई है।




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मजदूरों के अनुभव और अपील

मुक्त मजदूरों ने बताया कि ठेकेदार ने उनके साथ अत्याचार किया। उनसे दिन-रात काम कराया जाता था और खाने के लिए पैसे मांगने पर मारपीट की जाती थी। घर लौटने पर उन्होंने प्रशासन और पुलिस का धन्यवाद व्यक्त करते हुए कहा, "ऐसा लग रहा है जैसे जेल से छूटकर आए हैं।" मजदूरों ने अपील की कि किसी भी नाबालिग बच्चे को मजदूरी के लिए ठेकेदार के हाथों न सौंपा जाए, क्योंकि ठेकेदार न केवल शोषण करते हैं बल्कि अमानवीय व्यवहार भी करते हैं।


विशेष टीम की भूमिका

मजदूरों को सुरक्षित लाने में श्रम अधीक्षक रमाकांत और श्रम प्रवर्तन पदाधिकारियों, जिनमें चंद्रनाथ राम, वरुण कुमार, पिंटू कुमार और पंकज कुमार शामिल थे, की महत्वपूर्ण भूमिका रही। साथ ही, बचपन बचाओ आंदोलन के अधिकारी मुकुंद कुमार चौधरी का भी विशेष योगदान रहा।


गांव में खुशी का माहौल

मजदूरों की घर वापसी के बाद मेघपुर गांव में खुशी की लहर है। उनके परिजनों ने राहत की सांस ली और प्रशासन का आभार व्यक्त किया। यह घटना प्रवासी मजदूरों के शोषण के प्रति जागरूकता बढ़ाने और ऐसे मामलों में सक्रिय हस्तक्षेप की आवश्यकता को रेखांकित करती है। 

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