We News 24 » रिपोर्टिंग सूत्र / आरती गुप्ता
नई दिल्ली :- डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीतने के बाद, अपने सख्त नीतिगत रुख को लेकर चर्चा में हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश की योजना बनाई है, जिसके तहत अमेरिकी सेना में कार्यरत सभी ट्रांसजेंडर सदस्यों को सेवामुक्त किया जाएगा। यह आदेश उनके अगले साल 20 जनवरी को राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद लागू हो सकता है।
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ट्रांसजेंडर समुदाय पर प्रभाव
रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह फैसला अमेरिका में सेना में सेवा दे रहे लगभग 15,000 ट्रांसजेंडर कर्मियों को सीधे तौर पर प्रभावित करेगा।
- ट्रंप के इस आदेश से ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को "चिकित्सकीय रूप से अयोग्य" मानते हुए सेना से हटाया जाएगा।
- पहले कार्यकाल में ट्रंप ने ट्रांसजेंडर लोगों के सेना में शामिल होने पर रोक लगा दी थी। हालांकि, जो लोग पहले से सेना में सेवा दे रहे थे, उन्हें सेवा जारी रखने की अनुमति दी गई थी।
- राष्ट्रपति जो बाइडन ने सत्ता में आते ही ट्रंप द्वारा लगाए गए इस प्रतिबंध को हटा दिया था, जिसके बाद लगभग 2,200 कर्मियों में लिंग डिस्फोरिया का निदान हुआ था और कई अन्य कर्मियों ने अपनी लिंग पहचान जाहिर की थी।
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डोनाल्ड ट्रंप का रूख और विचारधारा
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने राष्ट्रपति-चुनाव अभियान के दौरान अमेरिका को कथित "जागृति" और "वामपंथी विचारधारा" से मुक्त करने की बात कही थी।
- ट्रंप ने "ट्रांसजेंडर पागलपन" और बच्चों पर "महत्वपूर्ण नस्ल सिद्धांत" को खत्म करने का वादा किया।
- ट्रंप ने कहा था कि वह उन स्कूलों की फंडिंग में कटौती करेंगे, जो किसी भी तरह की नस्लीय, यौन, या राजनीतिक सामग्री को बढ़ावा देते हैं।
- उन्होंने ट्रांसजेंडर एथलीटों को लड़कियों के खेल से दूर रखने और कक्षाओं में लिंग पहचान पर चर्चा को रोकने की भी बात कही।
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आलोचना और संभावित प्रभाव
ट्रंप के इस कदम की व्यापक आलोचना हो सकती है:
- LGBTQIA+ अधिकार संगठनों का कहना है कि यह फैसला न केवल भेदभावपूर्ण है, बल्कि सेना की विविधता और मानवाधिकारों के खिलाफ भी है।
- ट्रंप के इस आदेश से ट्रांसजेंडर समुदाय के मनोबल पर गहरा असर पड़ सकता है और उन्हें समाज में और अलगाव का सामना करना पड़ सकता है।
सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ
डोनाल्ड ट्रंप का यह कदम उनके कट्टरपंथी समर्थकों को आकर्षित कर सकता है, लेकिन इससे अमेरिकी समाज में विभाजन और गहरा हो सकता है। वहीं, राष्ट्रपति जो बाइडन की उदारवादी नीतियों के तहत LGBTQIA+ समुदाय को मिली सहूलियतों पर यह फैसला बड़ा आघात होगा।
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