We News 24 Digital / रिपोर्टिंग सूत्र / अंजली कुमारी
नई दिल्ली:- ओल्ड राजेंद्र नगर में हुई घटना के बाद एक तरफ सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मॉनिटरिंग कमेटी सक्रिय होने लगी है, वहीं दूसरी तरफ दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद राजधानी में जून 2014 से अनधिकृत कॉलोनियों में हुए अवैध निर्माणों को गिराने का खतरा मंडराने लगा है। दरअसल, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में अवैध निर्माण के मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने निगम से दिल्ली में अब तक हुए अवैध निर्माणों और उन पर की गई कार्रवाई का ब्योरा मांगा था।
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इससे निगम द्वारा जुटाए जा रहे आंकड़ों से बड़ी संख्या में अवैध निर्माणों की जानकारी सामने आ सकती है। फाइलों में धूल खा रही अवैध निर्माणों की सूची जल्द ही हाईकोर्ट में होगी। आने वाले समय में कोर्ट इस पर फैसला ले सकता है। अनधिकृत कॉलोनियों में अवैध निर्माण गौरतलब है कि दिल्ली में अवैध निर्माणों को संरक्षण देने के लिए दिल्ली स्पेशल प्रोविजन एक्ट है। इसके तहत नियमित कॉलोनियों में अवैध निर्माण 8 फरवरी 2007 तक संरक्षित हैं, जबकि ग्रामीण और अनधिकृत कॉलोनियों में अवैध निर्माण 1 जून 2014 तक संरक्षित हैं। इसके बाद किए गए सभी अवैध निर्माण कार्रवाई के दायरे में आ सकते हैं।
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वी न्यूज 24 को जानकारी मिली है कि दिल्ली नगर निगम की ओर से एक आदेश जारी किया गया है। इसमें हाईकोर्ट के आदेश पर निगम के इंजीनियरिंग विभाग ने सभी 12 जोन के कार्यकारी अभियंताओं (भवन) से 8 फरवरी 2007 से 5 अगस्त 2024 तक अवैध निर्माण की मौजूदा स्थिति और उन पर की गई कार्रवाई के साथ ही संपत्ति के मालिक की जानकारी मांगी है।
छत्तरपुर खन्ना रेस्टुरेंट पर बन रहा 100 फलेट का अविओध निर्माण
ऐसी करीब 10 लाख संपत्तियां हैं
सभी जोन को 19 अगस्त तक निगम मुख्यालय को यह जानकारी देनी है। जानकारों के मुताबिक, दिल्ली में कम से कम 10 लाख ऐसी संपत्तियां हैं, जो अवैध रूप से बनी हैं और इनका निर्माण खासकर ग्रामीण और अनधिकृत कॉलोनियों में जून 2014 के बाद हुआ है। दिल्ली में शहरी मामलों के विशेषज्ञ जगदीश ममगाईं ने बताया कि जब निगम इन संपत्तियों की सूची लेगा, तो संभव है कि हाईकोर्ट कार्रवाई रिपोर्ट मांग ले।
इसके साथ ही एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) कमेटी ने संत श्रीनागपाल मार्ग (100 फीट रोड) का निरीक्षण किया। कमेटी ने पाया कि यह गैर अधिसूचित रोड है। इसके बावजूद इस रोड पर काफी व्यावसायिक गतिविधियां हो रही हैं। यह गतिविधियां विभिन्न फ्लोर और बेसमेंट में की जा रही हैं, जो मास्टर प्लान 2021 के साथ एकीकृत भवन निर्माण उप नियम 2016 का उल्लंघन है।
कमेटी ने डीडीए को कार्रवाई करने के आदेश दिए। इसलिए इनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही कमेटी ने पाया कि कुतुब मीनार मेट्रो स्टेशन के पास एक प्रॉपर्टी में पत्थरों की दुकानें और नर्सरी चल रही हैं। कमेटी ने अधिकारियों से पूछा तो पता चला कि यह डीडीए की जमीन है। इस पर कमेटी ने डीडीए को कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।
इसी तरह कमेटी ने पाया कि छतरपुर मेन रोड से चान्दनहूला, फतेहपुर बेरी, राजपुर खुर्द, असोला और अन्य इलाकों में मार्बल की बिक्री, फार्म हाउस, विवाह स्थल, होटल, गेस्ट हाउस और रिसॉर्ट चल रहे हैं। समिति ने अधिकारियों को बताया कि इस क्षेत्र में कई गतिविधियों की अनुमति नहीं है, जिसके बावजूद ये गतिविधियां चल रही हैं। इस पर समिति ने डीडीए, दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग और एमसीडी को उन संपत्तियों की पहचान करने का निर्देश दिया है, जहां नियमों के खिलाफ गतिविधियां चल रही हैं।
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