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शनिवार, 17 अगस्त 2024

जाने भद्रा काल को क्यों शुभ नहीं माना जाता ,कौन है भद्रा जो जन्म लेते ही दौड़ी संसार को खाने ?

जाने भद्रा काल को क्यों शुभ नहीं माना जाता ,कौन है भद्रा जो जन्म लेते ही दौड़ी संसार को खाने ?









We News 24 Digital / रिपोर्टिंग सूत्र / अध्यात्म 

अध्यात्म :- भद्रा काल पंचाग में एक ऐसा समय है जिसे शुभ नहीं माना जाता है। इस कार्य या इस मुहूर्त में शुभ कार्य करना वर्जित होता है। रक्षा बंधन के दिन भद्रा काल का बहुत महत्व माना जाता है। इस दिन राखी नहीं बांधी जाती, खास तौर पर इस अवधि में। वर्ष 2024 में रक्षा बंधन का त्यौहार 19 अगस्त, 2024, सोमवार को पड़ रहा है। इस दिन भद्रा काल दोपहर 1.30 बजे तक रहेगा। इसलिए इस समय दोपहर या सुबह के समय राखी न बांधें।


वर्ष 2024 में रक्षा बंधन पर भद्रा काल का समय

रक्षा बंधन भद्रा समाप्ति समय - 13:30

रक्षा बंधन भद्रा पूंछ - 09:51 से 10:53

रक्षा बंधन भद्रा मुख - 10:53 से 12:37

सभी हिंदू शास्त्र और पुराण भद्रा समाप्त होने के बाद रक्षा बंधन विधि करने की सलाह देते हैं। भद्रा का समय अशुभ माना जाता है। इसीलिए इस समय राखी न बांधने की सलाह दी जाती है। रक्षाबंधन भाई-बहन का पवित्र त्योहार है, इसे शुभ मुहूर्त में ही बांधना चाहिए। आइए जानते हैं कौन हैं भद्रा, क्यों मानी जाती है अशुभ।


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कौन हैं भद्रा?

भद्रा न्याय के देवता शनिदेव की बहन हैं। भद्रा सूर्यदेव और माता छाया की पुत्री हैं। ये क्रोधी स्वभाव की हैं और इनका रूप भयानक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भद्रा का जन्म होते ही वह संसार को खाने के लिए दौड़ी। उसने यज्ञों का विध्वंस कर दिया, शुभ कार्यों में विघ्न डालना शुरू कर दिया और पूरे संसार को पीड़ा पहुंचाई। ऐसे में उसका दुष्ट स्वभाव और भयानक रूप देखकर सूर्यदेव को चिंता होने लगी कि इस कुरूप कन्या का विवाह कैसे होगा। जब वह विवाह योग्य हुई तो सभी देवताओं ने भद्रा के विवाह प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। तब सूर्यदेव ने ब्रह्माजी की शरण ली।



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ब्रह्मा जी ने भद्रा को आशीर्वाद दिया कि जहां भी शुभ और मांगलिक कार्य किए जाएंगे, वहां तुम्हारा निवास होगा। हे भद्रा, तुम बव, बालव, कौलव, तैतिल आदि करणों के अंत में सातवें करण के रूप में रहो। इस प्रकार ब्रह्मा जी ने भद्रा को समय का एक भाग दे दिया। भद्रा ने ब्रह्मा जी की यह बात स्वीकार कर ली और समय के एक भाग में बैठ गई। इसीलिए भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य आरंभ नहीं किया जाता, भद्रा काल में किए गए शुभ कार्य कभी सफल नहीं होते। 

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