We News 24 » रिपोर्टिंग सूत्र / दीपक कुमार
नई दिल्ली :- हरियाणा के चुनाव परिणाम कांग्रेस के लिए एक गंभीर चेतावनी साबित हुए हैं। लोकसभा चुनाव में मिली सफलता से उत्साहित होकर कांग्रेस ने हरियाणा में भी विजय का सपना देखा था, लेकिन पहली ही राजनीतिक परीक्षा में वह विफल रही। राज्य में सत्ता विरोधी माहौल के बावजूद कांग्रेस की लचर रणनीति के कारण पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।
इस हार का असर कांग्रेस की गठबंधन राजनीति पर भी पड़ना लगभग तय है। सहयोगी दल अब कांग्रेस की क्षमता पर सवाल उठा सकते हैं और अपने प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश कर सकते हैं। हरियाणा में सत्ता विरोधी सुरों के बीच बने अनुकूल माहौल को भुनाने में असफल रहने के बाद, कांग्रेस को अपने रणनीतिकारों और संगठन में सुधार की आवश्यकता है।
हरियाणा चुनाव से पहले कोंग्रेस अपनी बंपर जीत की उम्मीद की थी, लेकिन भाजपा ने लगातार तीसरी बार सत्ता में आकर उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। इस हार का असर झारखंड और महाराष्ट्र के आगामी विधानसभा चुनावों पर भी पड़ सकता है।
हरियाणा में हार के बाद, कांग्रेस को अब अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ेगा। सहयोगी दल इस मौके का फायदा उठाकर कांग्रेस पर दबाव बढ़ा सकते हैं, जिससे पार्टी के लिए राजनीतिक संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो सकता है। इन राज्यों में होने वाले चुनावों में कांग्रेस को अपने सहयोगियों के साथ बेहतर तालमेल और एकजुटता दिखानी होगी।
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झारखंड और महाराष्ट्र में कांग्रेस को अब अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए नई रणनीतियां बनानी होंगी और अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर काम करना होगा ताकि वे भाजपा के खिलाफ एक मजबूत मोर्चा खड़ा कर सकें। इन परिणामों ने कांग्रेस के सामने न सिर्फ चुनौती खड़ी की है, बल्कि उनके सहयोगी दलों को भी अधिक प्रभावी भूमिका निभाने का अवसर दिया है।
कांग्रेस ने हरियाणा के चुनाव प्रचार में किसान, जवान, नौजवान, महंगाई-बेरोजगारी और जातीय जनगणना जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाया, लेकिन ये चुनावी अस्त्र नतीजों में प्रभावी साबित नहीं हुए। जम्मू-कश्मीर के चुनाव में भी कांग्रेस का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा।
जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन करने के बावजूद, कांग्रेस की स्थिति निराशाजनक रही है। 32 सीटों पर गठबंधन कर चुनाव लड़ने के बावजूद, कांग्रेस को केवल छह सीटें ही मिली हैं। यह परिणाम कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है, खासकर जब पार्टी का एक भी हिंदू विधायक जीत नहीं पाया है।
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दो राज्यों के चुनाव हारने के बाद भाकपा, शिवसेना-यूबीटी और आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस पर तंज कसना शुरू कर दिया है। इन दलों ने अपनी आक्रामकता बढ़ा दी है और अब वे झारखंड और महाराष्ट्र में कांग्रेस के खिलाफ फ्रंटफुट पर आकर ज्यादा आक्रामक राजनीतिक दांव खेलने की तैयारी कर रहे हैं।
लोकसभा चुनावों के बाद से, कांग्रेस ने विपक्षी नेता के तौर पर राहुल गांधी के नेतृत्व में अपनी राजनीति को आक्रामक तरीके से धार दी थी। हालांकि, हरियाणा के नतीजों से राहुल गांधी को भी बड़ा झटका लगा है। यह स्थिति कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण हो गई है,
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