We News 24 » रिपोर्टिंग सूत्र / अंजली कुमारी
नई दिल्ली :- भारतीय खाने की आदतों में समय और मात्रा का बहुत स्पष्ट नियम नहीं होता है। ज्यादातर भारतीय दिन में तीन बार खाना खाते हैं, लेकिन इसका कोई तय समय नहीं होता और स्नैक्स या चाय का समय तो विशेष रूप से अनियमित होता है। भारतीय घरों में खाने का पैटर्न ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से विकसित हुआ है, जिसमें परिवारों का भोजन भूमि-स्वामी या किसान संस्कृति से जुड़ा है। जैसे-जैसे समय बदला और जीवनशैली में बदलाव आए, खासकर ब्रिटिश काल के दौरान, चाय और नाश्ते की आदतें भी विकसित हुईं।
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क्या दिन में तीन बार खाना सही है?
पुरानी भारतीय परंपरा में दो बार खाने का चलन था, जो शारीरिक श्रम और कृषि पर आधारित जीवनशैली के अनुकूल था। आज के समय में, पोषण विशेषज्ञ दो से ढाई बार खाने की सलाह देते हैं, जिसमें दो मुख्य भोजन के साथ बीच में हल्का स्नैक शामिल हो सकता है।
दिन में 4 बार खाना - क्या यह ठीक है?
दिन में चार बार खाना भी सही हो सकता है, लेकिन इसके लिए कैलोरी और पोषण संतुलन पर ध्यान देना आवश्यक है। कई बार खाने से मेटाबॉलिज्म बना रहता है, लेकिन इसमें अधिक कार्बोहाइड्रेट और कम प्रोटीन वाली आदतें स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती हैं। विशेष रूप से भारतीय भोजन में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है और इसे संतुलित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। प्रोटीन के लिए दाल और डेयरी पर निर्भरता होती है, लेकिन इनमें भी कार्बोहाइड्रेट अधिक मात्रा में होता है, जिससे संतुलन बिगड़ सकता है।
क्या एक दिन में तीन बड़े भोजन करना जरूरी है?
विशेषज्ञों के अनुसार, तीन बड़े भोजन के बजाय दो बड़े भोजन और एक छोटा स्नैक अधिक फायदेमंद हो सकता है। इस तरह का संतुलन कैलोरी नियंत्रण में मदद करता है और पाचन को भी आसान बनाता है।
संक्षेप में:
- खाने के लिए समय: अपने खानपान को समय पर रखने से पाचन में सहायता मिलती है।
- पोषण संतुलन: प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट का संतुलन आवश्यक है।
- स्नैकिंग: जरूरत के अनुसार, नट्स या फल जैसी हेल्दी चीजों का ही सेवन करना बेहतर है।
दुबई स्थित पाक पोषण विशेषज्ञ और समग्र स्वास्थ्य कोच ईशांका वाही का सुझाव है कि दिन में दो से ढाई बार भोजन करना एक बेहतर तरीका हो सकता है। उनके अनुसार, पारंपरिक भारतीय कहावत "दो वक्त की रोटी, दो वक्त खाना होता है" पर ध्यान देते हुए, दिन में तीन बड़े भोजन करने के बजाय दो मुख्य भोजन के साथ हल्के स्नैक का सेवन करना अधिक फायदेमंद हो सकता है।
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क्यों दो बार भोजन करना बेहतर हो सकता है?
- पाचन के लिए आरामदायक: कम बार खाने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है और उसे हर बार भोजन को पचाने के लिए अधिक समय मिलता है।
- कैलोरी नियंत्रण: दिन में दो मुख्य भोजन से कैलोरी पर बेहतर नियंत्रण रखा जा सकता है, जिससे वजन प्रबंधन में मदद मिलती है।
- स्नैक के रूप में नट्स: बीच में नट्स, फल या अन्य हल्के और पौष्टिक स्नैक्स लेने से ऊर्जा का स्तर बना रहता है और भूख भी संतुलित रहती है।
खाने का यह तरीका क्यों उपयुक्त है?
- यह पाचन तंत्र को अत्यधिक बोझ से बचाता है।
- शारीरिक ऊर्जा और मेटाबॉलिज्म को बनाए रखने में सहायक होता है।
- वजन प्रबंधन में भी लाभकारी हो सकता है, क्योंकि बार-बार खाने से कैलोरी ज्यादा हो सकती है, जबकि संतुलित दो भोजन से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
क्या हर किसी के लिए यह सही है?
हालांकि, यह पैटर्न कुछ लोगों के लिए लाभकारी हो सकता है, लेकिन हर व्यक्ति की पोषण संबंधी जरूरतें अलग होती हैं। विशेषकर जो लोग अत्यधिक शारीरिक कार्य करते हैं या एथलीट हैं, उन्हें अधिक बार खाने की आवश्यकता हो सकती है।
संक्षेप में, दिन में दो मुख्य भोजन और हल्के स्नैक्स का संयोजन एक संतुलित और स्वास्थ्यप्रद आहार का हिस्सा हो सकता है। फिर भी, किसी भी नई आहार योजना को अपनाने से पहले पोषण विशेषज्ञ की सलाह लेना महत्वपूर्ण है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आपकी सभी पोषण संबंधी जरूरतें पूरी हो रही हैं।
ध्यान दें:
उपरोक्त सुझाव सामान्य हैं और व्यक्ति की जीवनशैली और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए खानपान में बदलाव लाना चाहिए। किसी भी नई डायट को अपनाने से पहले पोषण विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
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