We News 24 » रिपोर्टिंग सूत्र / काजल कुमारी
नई दिल्ली :- भारत की बढ़ती रक्षात्मक क्षमता और स्वदेशी मिसाइल विकास ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को एक प्रमुख सैन्य शक्ति के रूप में स्थापित किया है। भारत में निर्मित इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBMs) की बात करें तो अग्नि-वी जैसे अत्याधुनिक मिसाइल सिस्टम को दुनिया में बड़ी अहमियत मिली है।
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‘सूर्या’ मिसाइल पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
हाल ही में पाकिस्तान के इस्लामाबाद की कायद-ए-आजम यूनिवर्सिटी में रक्षा विशेषज्ञ प्रोफेसर जफर नवाज जसपाल ने दावा किया कि भारत एक नई मिसाइल प्रणाली, ‘सूर्या’ ICBM, पर काम कर रहा है, जिसकी अनुमानित रेंज 10,000 से 12,000 किलोमीटर हो सकती है। प्रोफेसर जसपाल के अनुसार, इस रेंज की मिसाइल भारत को अमेरिका और यूरोप तक की पहुंच देती है। उन्होंने यह भी कहा कि ‘सूर्या’ का विकास मुख्य रूप से पाकिस्तान के लिए नहीं, बल्कि अमेरिका, रूस और यूरोप जैसे देशों के लिए चिंता का कारण होना चाहिए, क्योंकि भारत के पास पहले से ही पाकिस्तान तक पहुंचने वाली मिसाइलें मौजूद हैं।
भारत का आधिकारिक रुख
भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने ‘सूर्या ICBM’ के विकास के दावों को नकारते हुए स्पष्ट किया है कि इस तरह का कोई प्रोजेक्ट नहीं चल रहा है। DRDO के अधिकारियों के अनुसार, भारत का मुख्य उद्देश्य अपनी रणनीतिक आवश्यकताओं के अनुरूप रक्षात्मक क्षमताओं को बढ़ाना है। इसमें नए ICBM प्रोजेक्ट का उल्लेख नहीं किया गया है। भारत हमेशा से अपने रक्षा प्रोजेक्ट्स को रणनीतिक आवश्यकताओं और संतुलित शक्ति संरचना के हिसाब से विकसित करता है।
भारत की मौजूदा मिसाइल क्षमताएं
भारत के पास वर्तमान में अग्नि-वी सबसे एडवांस ICBM है, जिसकी रेंज 5,500 से 6,000 किलोमीटर है। यह मिसाइल एशिया और यूरोप के कुछ हिस्सों को भी लक्ष्य बनाने की क्षमता रखती है। अग्नि-वी का विकास विशेष रूप से चीन के खिलाफ रणनीतिक तैयारियों को ध्यान में रखकर किया गया है। इस मिसाइल की सटीकता और मारक क्षमता भारत की सैन्य क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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निष्कर्ष
भारत की रक्षा क्षमताओं का विकास मुख्य रूप से उसकी रणनीतिक जरूरतों को पूरा करने के लिए है, और भारत ने बार-बार स्पष्ट किया है कि उसकी रक्षा नीति रक्षात्मक और स्थिरता बनाए रखने पर केंद्रित है। DRDO द्वारा ‘सूर्या’ जैसे ICBM को नकारा जाना भी इस बात का संकेत है कि भारत केवल रणनीतिक आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है न कि किसी भी प्रकार की प्रतिस्पर्धात्मक हथियार होड़ पर।
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