We News 24 » रिपोर्टिंग सूत्र / दीपक कुमार
नई दिल्ली:- बिहार में शराबबंदी लागू करने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे एक बड़ी सामाजिक सुधार की दिशा में कदम बताया था, लेकिन इसके साथ ही कई चुनौतियाँ भी उभर कर सामने आईं। अब राज्य में शराबबंदी के साथ-साथ लैंड सर्वे और बंदोबस्ती की प्रक्रिया भी चल रही है, जिससे जनता में नाराज़गी बढ़ रही है। इन दोनों मुद्दों के एक साथ आने से सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं, जिसे एक तरह से "नीम पर चढ़ा करेला" कहा जा रहा है।
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लैंड सर्वे और बंदोबस्ती का काम जमीनी विवादों के समाधान और लोगों की भूमि संबंधी समस्याओं को हल करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। लेकिन इसमें भ्रष्टाचार और देरी की शिकायतें सामने आ रही हैं, जिससे जनता में असंतोष है। वहीं, शराबबंदी के चलते पुलिस और प्रशासन की सख्ती ने भी लोगों को परेशान किया है। इस दोहरी मार के कारण जनता में गुस्सा है, जो आगामी चुनावों में नीतीश कुमार की सरकार के लिए चुनौती बन सकता है ?
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शराबबंदी और लैंड सर्वे दोनों ही मुद्दे जनता के हित में हैं, लेकिन इनके क्रियान्वयन में आ रही कठिनाइयों ने नीतीश सरकार की स्थिति को कमजोर किया है। सरकार के लिए अब जरूरी है कि वह इन समस्याओं का समाधान करे और जनता का विश्वास वापस जीते, अन्यथा इस असंतोष का असर आगामी चुनावों में नीतीश कुमार की राजनीतिक स्थिति पर पड़ सकता है।
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