We News 24 Digital News» रिपोर्टिंग सूत्र / गौतम कुमार
कोलकाता:- केआरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या मामले में घिरी ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ गुस्सा अभी कम नहीं हुआ है। इस बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को एक और पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। इसके साथ ही ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को दिखाए गए पत्र में उनके पहले पत्र का जवाब न देने का भी आरोप लगाया। जिस पर अब केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने जवाब दिया है। ममता बनर्जी के पत्र के जवाब में महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने पत्र को तथ्यात्मक गलती बताते हुए सीएम ममता की कड़ी आलोचना की है।
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केंद्रीय मंत्री का ममता बनर्जी को कड़ा जवाब
केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को दिए अपने जवाब में कहा है कि इस पत्र का उद्देश्य राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के लिए फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (एफटीएससी) के संचालन में हो रही देरी को छिपाना है। उन्होंने आगे कहा, "इस संबंध में आपके पत्र में दी गई जानकारी तथ्यात्मक रूप से गलत है और यह राज्य द्वारा एफटीएससी के संचालन में हो रही देरी को छिपाने की दिशा में उठाया गया कदम प्रतीत होता है।" यह भी पढ़ें: पीएम मोदी आज देश को देंगे तीन नई वंदे भारत ट्रेनों की सौगात, जिला न्यायालयों के राष्ट्रीय सम्मेलन का करेंगे उद्घाटन
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सीएम ममता के पत्र का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, "पश्चिम बंगाल में फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों और विशेष पॉक्सो अदालतों की स्थिति के बारे में आपने जो बताया है, वह मुझे कलकत्ता उच्च न्यायालय से प्राप्त जानकारी से अलग लगता है।" उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल ने 88 फास्ट ट्रैक अदालतें स्थापित की हैं, जो केंद्र सरकार की योजना के तहत फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों के समान नहीं हैं। केंद्रीय मंत्री ममता बनर्जी के पत्र का जवाब देते हुए यह भी उल्लेख किया गया कि 48,600 लंबित मामले होने के बावजूद, पश्चिम बंगाल ने बलात्कार और पॉक्सो मामलों से निपटने के लिए अतिरिक्त फास्ट-ट्रैक विशेष अदालतें संचालित नहीं की हैं।
सीएम ममता ने मामले में प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की थी
आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में उन्होंने बताया कि उनकी सरकार ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए पहले ही आवश्यक कदम उठा लिए हैं। इनमें 88 फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट और 62 पॉक्सो कोर्ट के साथ ही बच्चों के खिलाफ अपराधों के लिए 10 स्पेशल कोर्ट की स्थापना शामिल है। ममता ने अपने पत्र में लिखा है कि सभी कोर्ट राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने पीएम मोदी से कोलकाता मामले में हस्तक्षेप करने और इन कोर्ट में स्थायी न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति की अनुमति मांगी थी।
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