We News 24 Digital News» रिपोर्टिंग सूत्र / दीपक कुमार
नई दिल्ली:- पूरी दुनिया में शुगर के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, दिल्ली में डायबिटीज विशेषज्ञ डॉक्टरों का दावा है कि 90 फीसदी शुगर के मरीज बिना पूरी जांच के ही इंसुलिन ले रहे हैं। अगर ये लोग सही तरीके से जांच करवा लें और अपने खान-पान की आदतों में बदलाव करें तो इनका डायबिटीज पूरी तरह से ठीक हो सकता है।
अधिकतर लोगो इंसुलिन दिया जा रहा है जो गलत है डायबिटीज का मजाक उड़ाया जा रहा है, लेकिन क्या इस बीमारी को इतने हल्के में लेने की जरूरत है। आइए आंकड़ों से समझने की कोशिश करते हैं और समझते हैं कि डॉक्टर इसे कितनी बड़ी चुनौती मानते हैं। आईसीएमआर के एक अध्ययन के अनुसार हाल के वर्षों में डायबिटीज तेजी से बढ़ी है। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के अनुसार डायबिटीज से प्रभावित मरीजों की संख्या 1995 में 19 मिलियन से बढ़कर 2015 में 66.8 मिलियन हो गई और वर्ष 2040 तक यह आंकड़ा बढ़कर 123.5 मिलियन यानी 12 करोड़ हो जाने का अनुमान है।
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ये भयावह आंकड़े यह बताने के लिए काफी हैं कि मधुमेह की बीमारी विश्व स्तर पर तेजी से फैल रही है। हालांकि मधुमेह जैसी बीमारियों पर चर्चा तो होती रही है, लेकिन लोगों को जागरूक करने के प्रयास कम ही देखने को मिलता हैं। पर भारत में एक ऐसे डॉक्टर है जो डायबिटीज मधुमेह जैसी बीमारियों पर लोगो जागरूक करने के साथ-साथ लोगो को डायबिटीज मधुमेह से छुटकारा भी दिला रहे है .जिनका नाम है डॉ. एस कुमार .
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प्रसिद्ध मधुमेह विशेषज्ञ डॉ. एस कुमार का कहना है कि भारत में मधुमेह रोगियों की कुछ जांच कराकर और फिर खान-पान की आदतों में बदलाव लाकर 90% रोगियों की मधुमेह को ठीक किया जा सकता है। कुमार ने कहा कि भारत में मधुमेह रोगियों की लगातार बढ़ती संख्या चिंता का विषय है। आज भारत में आधुनिक जांच उपलब्ध हैं। लेकिन इसके बावजूद 90% से अधिक मधुमेह रोगी अधूरी जांच और पूरी जानकारी के अभाव में मधुमेह की दवाइयां और इंसुलिन ले रहे हैं। भारत में एक मिथक है कि मधुमेह को ठीक नहीं किया जा सकता, जबकि उचित जांच से मधुमेह को खत्म किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मैंने शोध में देखा है कि चिकित्सा विज्ञान ने मधुमेह में कुछ महत्वपूर्ण जांचों के बारे में जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि इस बीमारी में
1-सी-पेप्टाइड टेस्ट
2-होमा (आईआर),
2-फास्टिंग सीरम इंसुलिन सेंसिटिविटी और बीटा सेल फंक्शन टेस्ट बहुत महत्वपूर्ण हैं।
कुमार ने कहा कि हमने मधुमेह के मरीजों को फास्टिंग, पोस्टमील और एचबीए1सी के अलावा सी-पेप्टाइड टेस्ट, होमा (आईआर) और बीटा सेल फंक्शन जैसी महत्वपूर्ण जांच कराने की सलाह दी। जब पूरी जांच के नतीजे सामने आए तो जांच के नतीजे चौंकाने वाले थे क्योंकि जिन लोगों की जांच की गई उनमें से किसी को भी मधुमेह नहीं था और ऐसे मरीज पिछले कई सालों से दवाइयां और इंसुलिन ले रहे थे।
अब सवाल यह है कि मधुमेह के लिए उचित जांच कैसे कराएं, यह कैसे पता चलेगा। जिसके जवाब में डॉ. कुमार ने कहा कि इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जानकारी ही बचाव है। जानकारी के अभाव में लोग मधुमेह न होने पर भी दवाइयां और इंसुलिन ले रहे हैं, जो उनके लिए बेहद खतरनाक है। डॉ. एस. कुमार ने कहा कि "मधुमेह पर शोध के दौरान जब हम समस्या की जड़ तक पहुंचे तो पता चला कि भारत में लोग अधूरे टेस्ट करवाकर मधुमेह की दवाइयां और इंसुलिन ले रहे हैं और अधूरे टेस्ट के आधार पर मरीजों को मधुमेह रोगी घोषित कर दिया जा रहा है। मेरा दावा है कि भारत में 90% मधुमेह रोगी अधूरे टेस्ट के आधार पर अपना इलाज करवा रहे हैं। अगर सही तरीके से टेस्ट करवाए जाएं तो भारत में 90% मधुमेह रोगी ठीक हो सकते हैं।" आगे वीडियो में देखे डॉ. एस कुमार क्या कह रहे है .
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