We News 24 » रिपोर्टिंग सूत्र / ब्यूरो रिपोर्ट
नई दिल्ली :- प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के खिलाफ अपनी जांच में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। ED की जांच के अनुसार, PFI के पास करीब 13,000 सक्रिय सदस्य हैं और संगठन ने करोड़ों रुपये का चंदा इकट्ठा किया है, जिसका उपयोग कथित तौर पर देश में जिहादी गतिविधियों को फैलाने के लिए किया जा रहा था।
PFI पर आरोप है कि वह भारत में कट्टरपंथी विचारधारा को बढ़ावा देकर सामाजिक तनाव और हिंसा भड़काने का प्रयास कर रहा है। ED की रिपोर्ट के अनुसार, यह संगठन विदेशों से धन जुटाने और इस फंड का उपयोग भारत में कट्टरपंथी गतिविधियों के लिए करने में लिप्त है।
PFI के खिलाफ विभिन्न जांच एजेंसियां कार्रवाई कर रही हैं, और इस पर देशविरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप हैं। सरकार ने संगठन पर निगरानी कड़ी कर दी है और इसके वित्तीय लेन-देन की जांच की जा रही है।
इस खुलासे के बाद PFI के खिलाफ कानूनी कार्रवाई और तेज होने की संभावना है, और संगठन के कई सदस्यों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है।
ये भी पढ़े-बिहटा में जनप्रतिनिधियों पर जानलेवा हमला के विरोध में लोगों ने निकाला प्रतिशोध मार्च।
PFI का असली मकसद भारत में जिहादी गतिविधियों के जरिए इस्लामी स्टेट की स्थापना करना है। हालांकि PFI खुद को एक सामाजिक आंदोलन के रूप में प्रस्तुत करता था, लेकिन जांच से यह स्पष्ट हुआ है कि यह संगठन हिंसक और आतंकी गतिविधियों में शामिल था। ED की जांच में यह भी पाया गया कि PFI भारत में गृह युद्ध छेड़ने के लिए हवाई हमले और गोरिल्ला युद्ध की योजना बना रहा था।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा किए गए खुलासों के अनुसार, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) ने कई गंभीर और विध्वंसक गतिविधियों में शामिल होने की योजना बनाई थी। इसके प्रमुख उदाहरण हैं:
दिल्ली के फरवरी 2020 दंगे: PFI पर आरोप है कि उसने इन दंगों में हिंसा भड़काने और सामाजिक अशांति फैलाने में अहम भूमिका निभाई। दंगों के दौरान यह दावा किया गया कि संगठन ने जानबूझकर हिंसा भड़काने और सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के लिए फंडिंग और मानव संसाधन मुहैया कराए।
हाथरस कांड: उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए विवाद के दौरान भी PFI और उसके सहयोगी संगठन, कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) के सदस्यों ने साम्प्रदायिक माहौल को बिगाड़ने और आतंक फैलाने की कोशिश की थी। इनकी गतिविधियाँ क्षेत्र में और तनाव पैदा करने के उद्देश्य से थीं।
आतंकी समूह का गठन और हथियार जमा करना: जांच में पाया गया कि PFI एक आतंकवादी समूह बनाने की योजना बना रहा था। इसके तहत, घातक हथियार और विस्फोटक सामग्री जमा की जा रही थी, जिनका उपयोग महत्वपूर्ण और संवेदनशील स्थानों पर हमले करने के लिए किया जाना था। संगठन ने बड़ी हस्तियों को निशाना बनाने की भी साजिश रची थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पटना यात्रा के दौरान अशांति: रिपोर्ट्स के अनुसार, PFI ने प्रधानमंत्री की पटना यात्रा के दौरान अशांति फैलाने के लिए एक प्रशिक्षण शिविर (ट्रेनिंग कैंप) का आयोजन किया था, जिसमें हिंसक गतिविधियों की योजना बनाई गई थी।
विध्वंसक साहित्य का निर्माण और वितरण: PFI ने भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता को खतरे में डालने वाले साहित्य का निर्माण और वितरण किया। इसका उद्देश्य देश में सांप्रदायिक अस्थिरता पैदा करना था।
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर भारत के खिलाफ गंभीर साजिश रचने और देश की एकता और अखंडता को कमजोर करने के आरोप लगाए गए हैं। इस संगठन पर आरोप है कि उसने कई खतरनाक और गैरकानूनी योजनाएं तैयार की थीं, जिनका उद्देश्य देश में अराजकता फैलाना और संवैधानिक व्यवस्था को कमजोर करना था। इसके तहत PFI निम्नलिखित गतिविधियों में शामिल था:
कानूनों का उल्लंघन और दोहरी पहचान का उपयोग: PFI पर आरोप है कि उसने भारत में कानूनों को तोड़ने और अपनी गतिविधियों को छिपाने के लिए दोहरी पहचान का उपयोग किया। यह रणनीति सुरक्षा एजेंसियों से बचने और अपनी गुप्त गतिविधियों को अंजाम देने के लिए की गई थी।
समानांतर सरकार चलाने का प्रयास: PFI पर यह भी आरोप है कि वह भारत के भीतर एक समानांतर सरकार चलाने की योजना बना रहा था, जो कि देश के संवैधानिक और कानूनी ढांचे को कमजोर करने का स्पष्ट प्रयास था। यह एक गंभीर आरोप है, जो देश की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा पैदा कर सकता था।
सीक्रेट एजेंटों की पहचान उजागर करना: PFI पर यह भी आरोप है कि उसने भारत के गुप्त एजेंटों की पहचान उजागर करने की योजना बनाई थी। इससे देश की सुरक्षा और गुप्त ऑपरेशनों को गंभीर खतरा हो सकता था। ऐसे कार्य राष्ट्र की आंतरिक सुरक्षा को कमजोर करने के उद्देश्य से किए जा रहे थे।
इसके अलावा, PFI पर कई अन्य गंभीर आरोप भी लगाए गए हैं, जिनमें आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होना, सांप्रदायिक हिंसा भड़काना, हथियार और विस्फोटक सामग्री जमा करना, और देश के नेताओं और महत्वपूर्ण व्यक्तियों पर हमला करने की साजिश शामिल है। संगठन ने देश में अशांति फैलाने और इस्लामी राज्य की स्थापना के लिए कट्टरपंथी विचारधारा का समर्थन किया।
NIA और ED की जांच के बाद, PFI से जुड़े 35 अचल संपत्तियों को जब्त कर लिया गया, जिनकी कुल कीमत 56.56 करोड़ रुपये है। ये संपत्तियाँ ट्रस्ट, कंपनियों और व्यक्तियों के नाम पर थीं, जिन्हें आतंकवादी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था। NIA ने अपनी चार्जशीट में 17 ऐसी संपत्तियों की पहचान की है जिन्हें 'आतंकवाद से कमाई गई आय' के रूप में जब्त किया गया।
PFI की ये गतिविधियाँ स्पष्ट रूप से देश की सुरक्षा और शांति के लिए गंभीर खतरा थीं, जिसके चलते संगठन पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें