We News 24 » रिपोर्टिंग सूत्र / दीपक कुमार
नई दिल्ली:- दिल्ली की नई नवेली मुख्यमंत्री आतिशी ने सोमवार को मुख्यमंत्री का काम संभाल लिया. लेकिन आतिशी ने अरविंद केजरीवाल की कुर्सी पर नहीं बैठीं. इस दौरान वह पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल की कुर्सी के बगल में दूसरी लगाकर बैठी .आतिशी ने कहा कि आज मेरे मन में भी वही व्यथा है, जैसे भगवान राम जी के वनवास जाने पर भरत जी के मन में थी."इसलिए अरविंद केजरीवाल के लिए कुर्सी खाली है. इस कुर्सी का केजरीवाल इंतजार रहेगा. "
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'भगवान राम हम सभी के आदर्श हैं'
दिल्ली की सीएम ने कहा कि, "भरत जी ने भगवान राम की खड़ाऊं रखकर शासन चलाया था. भगवान राम हम सभी के आदर्श हैं और केजरीवाल जी ने उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए दिल्लीवालों की सेवा की और मर्यादा का पालन करते हुए सीएम पद से इस्तीफा दे दिया." उन्होंने आगे कहा कि, "मुझे विश्वास है कि अब दिल्लीवाले केजरीवाल जी को विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत से विजयी बनाकर फिर से सीएम बनायेंगे. तब तक यह मुख्यमंत्री की कुर्सी केजरीवाल जी का इंतज़ार करती रहेगी."
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क्या आपको लगता है केजरीवाल भगवान राम जैसा आदर्श वाले नेता है ?
ये तो बात थी दिल्ली की नयी नवेली मुख्यमंत्री आतिशी की लेकिन ये पब्लिक है सब जानती है। क्या आपको लगता है की केजरीवाल भगवान राम है या भगवान राम जैसा चरित्र है ? वैसे तो दिल्ली की जनता अन्ना हजारे को तो भूले नहीं होंगे जिनको अरविन्द केजरीवाल और उनके मौका परस्त लोगो ने कैसे ठगा ,जो केजरीवाल अपने बच्चो की कसम खाया की कांग्रेस कसे हाथ नहीं मिलाऊँगा वो कांग्रेस से हाथ मिलाया इतना ही नहीं आपको याद होगा केजरीवाल ने जनता से वादा किया था ना कोई बंगला लूंगा ना कोई सुरक्षा लूंगा लेकिन केजरीवाल अपने ही बातो को झुठलाते ये सब लिया इसके बाद भी आतिशी के हिसाब से केजरीवाल भगवान राम है ? केजरीवाल सिर्फ एक नाटकबाज नेता के आलावा और कुछ नहीं है। जिस आम आदमी पार्टी के पास चुनाव लड़ने तक के पैसे नहीं थे वो देखते ही देखते राष्ट्रिय पार्टी कैसे बन गया ? क्या सच में केजरीवाल या उसके पार्टी के लोग आबकारी निति में कोई घोटाला नहीं किया ? ऐसे ही केजरीवाल पांच महीने जेल में बिता दिए .
क्या भारत के न्यायपालिका ने केजरीवाल पर ज्यादती किया ? क्या सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त जमानत दी की केजरीवाल मुख्यमंत्री रहते ना ही अपने दफ्तर जा सकते है और नाही कोई फ़ाइल पर साइन करने वाला शर्त लगा कर गलत फैसला किया ? जब केजरीवाल को त्यागपत्र ही देना था तो पांच महीने पहले ही देते जिससे दिल्ली के काम काज पर रोक नहीं लगता। अगर सुप्रीम कोर्ट बिना शर्त के जमानत दे दते तो केजरीवाल किसी भी हाल में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देते ये तो आने वाला दिल्ली का विधान सभा चुनाव ही बातयेगा की की केजरीवाल राम है या कुछ और ?
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