We News 24 Digital News» रिपोर्टिंग सूत्र / दीपक कुमार
नई दिल्ली:- हर साल की भाँती इस साल भी मेहरौली के राजा गणपति पूजा का उत्सव फ्रेंड्स क्लब के तत्वाधान में मनोज शर्मा के अगुआई में हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जायेगा । कल शाम सात बजे महरौली थाना के सामने गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापना का आयोजन बड़े धूमधाम से किया जाएगा, आप क्षेत्र वासी इस साल के आयोजन में शामिल होकर गणपति बप्पा के आशीर्वाद प्राप्त कर अपने घर परिवार में सुख, समृद्धि और खुशी प्राप्त करे । दिल्ली के महरौली क्षेत्र में गणपति स्थापना एक बहुत ही लोकप्रिय और पारंपरिक उत्सव है। यहां के स्थानीय लोग बड़े धूमधाम से गणपति बप्पा की पूजा करते हैं। महरौली के राजा गणपति स्थापना आमतौर पर गणेश चतुर्थी के दौरान होती है, जिसमें भक्त गणपति की मूर्ति को सजाकर पूजा करते हैं और भव्य उत्सव मनाते हैं।
ये भी पढ़े-पाकिस्तान ने की फिर हिमाकत ,कश्मीर के बाद भारत के इस इलाके पर ठोका दावा
इस दौरान महरौली के विभिन्न स्थानों पर गणपति बप्पा की विशाल और सुंदर मूर्तियों की स्थापना की जाती है, और पूजा-पाठ, भजन, और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। यह समय स्थानीय समुदाय के लिए एकजुट होने और धार्मिक उत्सव का आनंद लेने का अवसर होता है।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि
- वीरेंद्र सचदेवा ,दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष
- हर्ष मल्होत्रा ,केन्द्रीय सड़क परिवहन राज्य मंत्री
- आचार्य प्रमोद कृष्णम
- मनोज तिवारी ,सांसद
- बांसुरी स्वराज ,सांसद
- सतीश उपाध्याय ,वाइस चेयरमेन एन डी एमसी
ये भी पढ़े-आज की प्रमुख खबरे ,सतलुज एक्सप्रेस पर पथराव,राजस्थान में 108 आइएस अधकारी का तबादला
गणपति, जिन्हें गणेश जी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। वे बुद्धि, समृद्धि और बाधाओं को दूर करने वाले देवता माने जाते हैं। गणेश जी को प्रथम पूज्य कहा जाता है, यानी किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले उनकी पूजा की जाती है।
गणपति की मुख्य विशेषताएं हैं:
हाथी का सिर: उनका हाथी का सिर बुद्धिमत्ता और शक्ति का प्रतीक है।
चार हाथ: उनके चार हाथ होते हैं, जिनमें से एक हाथ अभय मुद्रा में होता है, दूसरा हाथ वरद मुद्रा में, और बाकी दो हाथों में वे मोदक और एक पाश (रस्सी) धारण किए हुए होते हैं।
वाहन मूषक: उनका वाहन मूषक (चूहा) है, जो उनकी विनम्रता और साधारणता का प्रतीक है।
गणेश चतुर्थी एक प्रमुख त्यौहार है, जब भक्त गणपति की मूर्तियों को अपने घर और सार्वजनिक स्थानों पर स्थापित करते हैं, और उनके साथ 10 दिनों तक उत्सव मनाया जाता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें