We News 24 » रिपोर्टिंग सूत्र / दीपक कुमार
नई दिल्ली :- मोदी सरकार ने देश में रोहिंग्या मुसलमानों की अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए कई सख्त कदम उठाए हैं। सरकार का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना और अवैध प्रवासियों पर कड़ी निगरानी बनाए रखना है। यहां कुछ प्रमुख कदम उठाए गए हैं:
सीमा सुरक्षा कड़ी करना: भारत-बांग्लादेश और भारत-म्यांमार सीमा पर सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ाई गई है। सीमा पर निगरानी के लिए तकनीकी उपकरणों जैसे ड्रोन और सेंसर का उपयोग भी किया जा रहा है ताकि अवैध घुसपैठ को रोका जा सके।
रोहिंग्या बस्तियों पर सख्त नजर: देश के विभिन्न हिस्सों में पहले से मौजूद रोहिंग्या शरणार्थियों की पहचान और उनकी गतिविधियों की निगरानी के लिए केंद्रीय एजेंसियों को सतर्क किया गया है। अवैध रूप से बसे रोहिंग्याओं को वापस भेजने की प्रक्रिया भी तेज की जा रही है।
अवैध प्रवासियों की पहचान: सरकार ने राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वे अवैध रूप से रहने वाले प्रवासियों की पहचान करें और उनके खिलाफ कार्रवाई करें। इसके तहत आधार और अन्य सरकारी पहचान पत्रों का सत्यापन भी किया जा रहा है।
विधायी और नीतिगत सुधार: केंद्र सरकार अवैध घुसपैठियों के खिलाफ सख्त कानून लाने पर विचार कर रही है। इसके तहत अवैध प्रवासियों को नागरिकता देने से इनकार करने और उन्हें बाहर निकालने की प्रक्रिया को तेज करने के उपाय किए जा रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग: भारत सरकार म्यांमार और अन्य देशों के साथ कूटनीतिक वार्ता कर रही है ताकि रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी का रास्ता सुनिश्चित किया जा सके।
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गृहमंत्री अमित शाह ने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर सरकार की प्रमुख उपलब्धियों का जिक्र करते हुए बताया कि म्यांमार से हो रही अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए नियमों को सख्त कर दिया गया है। अब बिना वीजा के भारत में प्रवेश संभव नहीं होगा, और सरकार ने बिना वीजा यात्रा की सुविधा को रद्द कर दिया है। यह कदम अवैध प्रवासियों और विशेष रूप से रोहिंग्या शरणार्थियों की घुसपैठ को रोकने के लिए उठाया गया है।
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इसके साथ ही, शाह ने कहा कि भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने का काम तेजी से चल रहा है। अब तक 30 किलोमीटर में बाड़ लगाई जा चुकी है, और 1500 किलोमीटर से अधिक सीमा क्षेत्र पर बाड़ लगाने की योजना है। यह कदम सुरक्षा को मजबूत करने और अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए उठाया जा रहा है, ताकि सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनी रहे।
गृहमंत्री अमित शाह ने जानकारी दी कि सरकार ने भारत-म्यांमार मुक्त आवागमन व्यवस्था (Free Movement Regime - FMR) को रद्द कर दिया है। इस व्यवस्था के तहत भारत और म्यांमार की सीमा के पास रहने वाले लोगों को बिना किसी दस्तावेज के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किलोमीटर तक आने-जाने की अनुमति थी। यह सुविधा स्थानीय निवासियों के लिए दी गई थी ताकि सीमा पार के समुदायों के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध बनाए रखे जा सकें।
हालांकि, अब बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों और अवैध प्रवासियों की घुसपैठ को रोकने के मद्देनजर इस व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है। शाह ने कहा कि अब भारत में प्रवेश के लिए वीजा आवश्यक होगा, जिससे अवैध गतिविधियों पर रोक लगाई जा सकेगी और सीमा सुरक्षा को और मजबूत किया जा सकेगा। यह कदम सीमा पर होने वाली घुसपैठ और अन्य अवैध गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए उठाया गया है, जिससे भारत-म्यांमार सीमा क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित हो सके।
सरकार द्वारा उठाए गए इन सख्त कदमों से घुसपैठ पर रोक लगने की उम्मीद है, और देश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूती मिलेगी .
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