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अध्यात्म:- पितृ पक्ष हिंदू धर्म में पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करने का विशेष समय होता है। पितृ पक्ष के दौरान पिंडदान, तर्पण, और श्राद्ध जैसे धार्मिक अनुष्ठानों का महत्व है। इस दौरान पवित्र नदी में स्नान, दान, और पूजा-पाठ से पितरों को प्रसन्न किया जाता है।
पितृ पक्ष की शुरुआत और समापन
- पितृ पक्ष 2024 की शुरुआत 17 सितंबर से होगी और इसका समापन 2 अक्टूबर 2024 को अमावस्या तिथि के दिन होगा।
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श्राद्ध के भोजन के नियम
श्राद्ध के खाने को शुद्धता और साफ-सफाई के साथ बनाना चाहिए। खाने को पाँच भागों में विभाजित करना अनिवार्य होता है, जो निम्नलिखित के लिए होते हैं:
- गाय: पृथ्वी तत्व का प्रतिनिधित्व करती है।
- कुत्ता: सेवा और सुरक्षा का प्रतीक।
- कौवा: वायु तत्व का प्रतिनिधित्व करता है और पितरों का प्रतीक माना जाता है।
- चींटी: अग्नि तत्व का प्रतीक है।
- देवी-देवता: आकाश तत्व के प्रतीक के रूप में भगवान को अर्पित किया जाता है।
इसके अलावा, श्राद्ध के दौरान भोजन जीव-जंतुओं के लिए भी निकाला जाता है, ताकि पाँच प्रमुख तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, और आकाश) का आशीर्वाद प्राप्त हो।
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किन चीजों से परहेज करें
पितृ पक्ष के दौरान कुछ चीजों का सेवन करना वर्जित माना गया है:
- तामसिक भोजन (मांस, मछली आदि)
- शराब, सिगरेट, तंबाकू
- जमीन के नीचे उगने वाली सब्जियां (जैसे प्याज, लहसुन)
- काला नमक, मसूर की दाल, उड़द की दाल, और सत्तू से बनी चीजें
यह माना जाता है कि इन नियमों का पालन करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
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