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गुरुवार, 5 सितंबर 2024

.पुतिन ने भारत पर जताया भरोसा , यूक्रेन से बातचीत के दिए संकेत, इन तीन देशों पर जताया भरोसा

 

भारत हो सकता है अच्छा मध्यस्थ... पुतिन ने यूक्रेन से बातचीत के दिए संकेत, इन तीन देशों पर जताया भरोसा





We News 24 Digital News» रिपोर्टिंग सूत्र   काजल कुमारी 


नई दिल्ली:- रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में यूक्रेन के साथ संभावित वार्ता के संकेत दिए हैं, जिसमें उन्होंने कुछ देशों पर विश्वास जताया है जो इस संघर्ष में मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते हैं। पुतिन के अनुसार, भारत, चीन, और ब्राजील वे देश हैं जिन पर वह भरोसा करते हैं और जिनकी मध्यस्थता उन्हें स्वीकार्य हो सकती है। पुतिन ने भारत की तटस्थता और वैश्विक राजनीति में इसके संतुलित रुख का उल्लेख किया, जो इसे एक प्रभावी मध्यस्थ बना सकता है।


भारत लंबे समय से रूस के साथ अच्छे संबंध बनाए हुए है, साथ ही यूक्रेन के प्रति भी इसकी संवेदनशीलता है। इसलिए, भारत को इस संघर्ष में एक निष्पक्ष मध्यस्थ के रूप में देखा जा सकता है। पुतिन ने इस बात को भी रेखांकित किया कि रूस कभी भी वार्ता से पीछे नहीं हटा है, लेकिन वह वार्ता वास्तविक और परिणाम देने वाली होनी चाहिए।



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इस टिप्पणी से यह संकेत मिलता है कि रूस और यूक्रेन के बीच तनाव कम करने के प्रयासों में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है, खासकर यदि यह किसी प्रकार की शांति वार्ता की दिशा में बढ़ता है।


फरवरी 2022 में रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुई जंग यूरोप के सबसे बड़े सैन्य संघर्षों में से एक है, जिसका वैश्विक प्रभाव पड़ा है। यह संघर्ष 24 फरवरी, 2022 को तब शुरू हुआ, जब रूस ने यूक्रेन पर व्यापक पैमाने पर हमला किया। इसके पीछे कई भू-राजनीतिक और ऐतिहासिक कारण हैं, जिनमें यूक्रेन का पश्चिमी देशों और नाटो (NATO) के साथ बढ़ता संबंध, रूस की सुरक्षा चिंताएँ और पूर्व सोवियत संघ के क्षेत्रों पर प्रभाव बनाए रखने की कोशिशें शामिल हैं।



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इस जंग की मुख्य घटनाएँ:


रूस का आक्रमण: 24 फरवरी, 2022 को रूस ने यूक्रेन पर चारों दिशाओं से हमला किया। मुख्य लक्ष्य था राजधानी कीव और बड़े शहरों पर कब्ज़ा करना।


यूक्रेन का प्रतिरोध: यूक्रेनी सेना और नागरिकों ने रूस के हमलों का दृढ़ता से प्रतिरोध किया। उन्हें पश्चिमी देशों से हथियार और सैन्य सहायता भी मिली।


नाटो और पश्चिमी देशों की भूमिका: अमेरिका और यूरोपीय संघ ने रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए और यूक्रेन को सैन्य और मानवीय सहायता प्रदान की। यह संघर्ष रूस और पश्चिम के बीच तनाव को और बढ़ाने वाला साबित हुआ।


क्षेत्रीय नियंत्रण: इस युद्ध में रूस ने यूक्रेन के कुछ हिस्सों पर नियंत्रण कर लिया, जिसमें पूर्वी यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र और दक्षिण में क्रीमिया का विस्तार शामिल है। हालांकि, यूक्रेनी सेना ने भी कई क्षेत्रों में रूस को पीछे धकेलने में सफलता प्राप्त की।


वैश्विक प्रभाव: इस युद्ध ने वैश्विक स्तर पर ऊर्जा संकट, खाद्य आपूर्ति में कमी, और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में व्यवधान पैदा किया। इसके कारण कई देशों की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई।

यह युद्ध अभी भी जारी है, और इसका अंत या कोई शांतिपूर्ण समाधान अभी स्पष्ट नहीं है। 



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