We News 24 » रिपोर्टिंग सूत्र /सूरज महतो
रांची:- झारखंड में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर, राज्य में भाजपा की गोगो दीदी योजना और जेएमएम की मैय्या सम्मान योजना को लेकर तीखा राजनीतिक विवाद चल रहा है। दोनों योजनाएं महिलाओं को आर्थिक सहायता देने पर केंद्रित हैं, लेकिन इनमें धनराशि और कार्यान्वयन के मुद्दों पर स्पष्ट अंतर है, जिसके कारण यह मामला चुनावी राजनीति का प्रमुख मुद्दा बन गया है।
भाजपा की गोगो दीदी योजना
भाजपा द्वारा शुरू की गई गोगो दीदी योजना के तहत महिलाओं को प्रति माह ₹2,100 नकद सहायता दी जा रही है। इस योजना का उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है, साथ ही राज्य में भाजपा के समर्थन आधार को मजबूत करना। "गोगो" शब्द संथाली भाषा में "माँ" का अर्थ रखता है, जिससे यह योजना महिलाओं, खासकर माताओं, के बीच लोकप्रिय बनाने की कोशिश है।
जेएमएम की मैय्या सम्मान योजना
जेएमएम (झारखंड मुक्ति मोर्चा) की सरकार ने मैय्या सम्मान योजना के तहत राज्य की महिलाओं को प्रति माह ₹2,500 देने की घोषणा की है। यह योजना पहले ₹1,000 प्रतिमाह की दर से शुरू की गई थी, जिसे अब दिसंबर से बढ़ाकर ₹2,500 किया जाएगा। जेएमएम सरकार का दावा है कि इस योजना से राज्य की 53 लाख महिलाएं लाभान्वित हो रही हैं, और इससे महिलाओं को आर्थिक सहायता के साथ-साथ उनके जीवन स्तर में सुधार की कोशिश की जा रही है।
ये भी पढ़े-दक्षिण भारत में क्यों उठ रही जनसंख्या बढ़ाने की बात ,जाने इसके पीछे का कारण
राजनीतिक विवाद और अदालत में चुनौती
भाजपा ने जेएमएम की मैय्या सम्मान योजना को विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले शुरू किए जाने के कारण अदालत में चुनौती दी थी, यह तर्क देते हुए कि यह चुनाव से पहले एक रियायत के रूप में लाई गई है। हालांकि, भाजपा की इस चुनौती को अदालत में सफलता नहीं मिली, क्योंकि खुद भाजपा ने मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में इसी तरह की योजनाओं की घोषणा की थी।
इस बीच, जेएमएम के महासचिव विनोद पांडे ने भाजपा पर गोगो दीदी योजना के तहत महिलाओं से ₹500 लेकर फॉर्म भरने का आरोप लगाया, जोकि एक तरह से धोखाधड़ी के रूप में प्रस्तुत किया गया। पांडे ने भाजपा पर यह भी आरोप लगाया कि पार्टी ने एलपीजी सिलेंडर को ₹500 में देने जैसे वादे किए, जो मध्य प्रदेश या राजस्थान में पूरे नहीं हुए हैं। इसके अलावा, जेएमएम ने भारत के चुनाव आयोग द्वारा कांग्रेस की NYAY योजना के खिलाफ की गई आपत्तियों का हवाला देते हुए भाजपा पर भी ऐसे फॉर्म भरने की प्रक्रिया की आलोचना की है।
ये भी पढ़े-दिल्ली के किशनगढ़ में भीषण धमाका, धमाके में एक व्यक्ति की मौत और तीन गंभीर रूप से घायल
चुनावी माहौल और जनसांख्यिकीय चिंताएं
चुनाव आयोग ने झारखंड में दो चरणों में विधानसभा चुनाव कराने की घोषणा की है, जिसकी मतगणना 23 नवंबर को होगी। यह चुनाव राज्य में विकास, महिलाओं के सशक्तिकरण, और आदिवासी अधिकारों पर आधारित मुख्य मुद्दों पर केंद्रित रहेगा।
ये भी पढ़े-चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच साल बाद होंगे आमने-सामने
जयराम महतो और 1932 खतियान का मुद्दा
एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा जो चुनावी माहौल को गर्म कर रहा है, वह है जयराम महतो और उनकी पार्टी द्वारा उठाया गया 1932 खतियान (भूमि अभिलेख) का मुद्दा। जयराम महतो की पार्टी का मुख्य उद्देश्य आदिवासियों और मूल निवासियों के भूमि और रोजगार अधिकारों को संरक्षित करना है। 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीय अधिवास नीति झारखंड के आदिवासी और अन्य मूल निवासी समुदायों में गहरी जड़ें रखती है, और यह मुद्दा आगामी चुनावों में अहम भूमिका निभा सकता है।
आगे का रास्ता
चुनाव नजदीक आते ही इन योजनाओं और मुद्दों को लेकर मतदाताओं के बीच हो रही चर्चाओं से साफ है कि झारखंड में आर्थिक नीतियां, आदिवासी अधिकार और महिलाओं का सशक्तिकरण चुनावी राजनीति का केंद्र बन रहे हैं। भाजपा और जेएमएम के बीच यह राजनीतिक लड़ाई न केवल विकास और कल्याण योजनाओं पर आधारित है, बल्कि जनसंख्या वृद्धि, रोजगार और सामाजिक न्याय जैसे व्यापक मुद्दों को भी संबोधित कर रही है।
निष्कर्षतः, यह देखना दिलचस्प होगा कि मतदाता किस तरह से इन योजनाओं और नीतियों को लेकर अपना मत व्यक्त करेंगे, और झारखंड में नई सरकार का गठन किस दिशा में होगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें