We News 24 » रिपोर्टिंग सूत्र / मिडिया रिपोर्ट
नई दिल्ली:- भारत में फेफड़ों का कैंसर अब केवल धूम्रपान करने वालों तक सीमित नहीं रहा है; गैर-धूम्रपान करने वाले लोगों में भी इसके मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि फेफड़े के कैंसर के मरीजों में से दो-तिहाई से अधिक पुरुष हैं, लेकिन महिलाओं में भी इसका खतरा तेजी से बढ़ रहा है। गैर-धूम्रपान करने वालों में बढ़ते फेफड़े के कैंसर के कारणों में वायु प्रदूषण, कार्यस्थल पर जहरीले रसायनों का संपर्क, और पैसिव स्मोकिंग जैसी परिस्थितियाँ शामिल हैं।
भारत में बढ़ते प्रदूषण स्तर, विशेषकर महानगरों में, इस समस्या को और गंभीर बना रहे हैं। गाड़ियों से निकलने वाला धुआं, औद्योगिक प्रदूषक और घरेलू वायु प्रदूषण भी प्रमुख कारक हैं जो फेफड़ों को प्रभावित करते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के कारकों की वजह से न केवल धूम्रपान करने वाले बल्कि सामान्य लोग भी फेफड़ों के कैंसर के शिकार हो रहे हैं।
ये भी पढ़े-झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए आज मतदान हो रहा है.
इसके अलावा, देर से निदान और जागरूकता की कमी के कारण भी कैंसर के उन्नत चरण में पहुँचने तक इसे पहचान पाना मुश्किल होता है। इसे ध्यान में रखते हुए समय-समय पर फेफड़ों की स्वास्थ्य जांच और वायु प्रदूषण के प्रति सतर्कता आवश्यक है।
बढ़ते कैंसर मामलों के मद्देनजर, यह तथ्य कि कई मरीज़ तीसरे या चौथे चरण में कैंसर का पता चलने पर पहुंचते हैं, वास्तव में चिंता का विषय है। ऐसा होने के पीछे कई कारण हैं, जिनमें जागरूकता की कमी, नियमित स्वास्थ्य जांच की कमी, और समय पर लक्षणों की पहचान में मुश्किलें शामिल हैं।
प्रारंभिक चरण में कैंसर का निदान होने से इलाज की संभावनाएं अधिक रहती हैं और उपचार सरल हो सकता है। इसके लिए निम्नलिखित कदम आवश्यक हैं:
जागरूकता बढ़ाना: जनता को कैंसर के प्रारंभिक लक्षणों, जैसे कि लगातार खांसी, वजन में अचानक कमी, थकान, और असामान्य गांठों आदि के बारे में जानकारी होनी चाहिए। इसके लिए सरकार और स्वास्थ्य संगठनों द्वारा जागरूकता अभियानों की ज़रूरत है।
नियमित स्वास्थ्य जांच: कैंसर का प्रारंभिक निदान तभी संभव है जब लोग नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच करवाएं। विशेषकर उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों के लिए नियमित स्क्रीनिंग का महत्व अधिक है।
स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार: ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में भी गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए ताकि वहां के लोग आसानी से जांच और उपचार करा सकें।
कैंसर देखभाल केंद्रों की स्थापना: कैंसर के इलाज में विशेष रूप से प्रशिक्षित विशेषज्ञों और उपकरणों की आवश्यकता होती है। इसके लिए अधिक से अधिक कैंसर देखभाल केंद्र स्थापित करना जरूरी है।
नए उपचारों का समावेश: आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों और तकनीकों, जैसे इम्यूनोथेरेपी और टार्गेटेड थेरेपी, का कैंसर के उपचार में उपयोग बढ़ाने से मरीज़ों की इलाज की संभावनाएं बेहतर हो सकती हैं।
समय पर निदान और सही उपचार से कैंसर के बढ़ते मामलों में कमी लाई जा सकती है। स्वास्थ्य संबंधी जानकारी के
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें