We News 24 Digital News» रिपोर्टिंग सूत्र / राज्य ब्यूरो
मणिपुर :- पिछले साल से शुरू हुआ हिंसा का दौर अभी भी जारी है। हाल के दिनों में एक बार फिर राज्य में तनाव बढ़ गया है। जिससे देश की सुरक्षा को भी खतरा पैदा हो गया है। यूक्रेन में रविवार को उस समय तनाव बढ़ गया जब अज्ञात कुकी उग्रवादियों ने मैताई कोलामोश के समुद्र पर बम हमला किया। इसके बाद इंफाल पश्चिम जिले के सेजम चिरांग और पास के कोट्रुक में दो दिनों के भीतर दो और बम और बंदूकों से हमले हुए। इस हमले में दो लोगों की मौत हो गई। जबकि 12 लोग घायल हो गए।
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मणिपुर में हाल ही में ड्रोन हमलों की एक नई लहर देखने को मिली है, जो राज्य में हिंसा की एक गंभीर घटना के रूप में सामने आई है। 1 सितंबर 2024 को, इम्फाल ईस्ट जिले के एक गाँव में किए गए इन हमलों में दो लोगों की मौत हो गई और नौ अन्य घायल हो गए। इन ड्रोन हमलों में स्थानीय रूप से निर्मित क्वाडकॉप्टर ड्रोन का इस्तेमाल किया गया, जो विभिन्न प्रकार के विस्फोटक, जैसे कि हैंड ग्रेनेड और मोर्टार बम, गिराने में सक्षम हैं।
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ये हमले राज्य की सुरक्षा के लिए एक नई चुनौती बनकर उभरे हैं। इसके जवाब में, मणिपुर पुलिस ने राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) और अन्य विशेषज्ञों की मदद ली है। इसके अलावा, राज्य में सुरक्षा बलों ने लगातार छानबीन और कार्रवाई जारी रखी है। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इन हमलों की कड़ी निंदा की और इसे आतंकवादी कृत्य करार दिया है।
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सुरक्षा बलों ने इस नई चुनौती का सामना करने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है, जिसमें सेना, असम राइफल्स, सीआरपीएफ और बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। इस घटना ने मणिपुर में पहले से ही तनावपूर्ण स्थिति को और जटिल बना दिया है, और राज्य व केंद्रीय सुरक्षा बल इस समस्या का समाधान खोजने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं .
मणिपुर में हाल ही में हुए ड्रोन हमले ने सुरक्षा एजेंसियों और विशेषज्ञों के बीच चिंता बढ़ा दी है। यह घटना न केवल राज्य की सुरक्षा के लिए बल्कि पूरे देश की सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरे के रूप में देखी जा रही है।
ड्रोन हमले से बढ़ती चिंता के मुख्य कारण:
सुरक्षा खतरे में वृद्धि: ड्रोन का उपयोग आतंकवादी गतिविधियों, हथियारों की तस्करी, और निगरानी के लिए किया जा सकता है। यह सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ा चुनौती बन सकता है क्योंकि ड्रोन छोटे, सस्ते, और आसानी से संचालित किए जा सकते हैं।
तकनीकी चुनौतियाँ: ड्रोन तकनीक तेजी से विकसित हो रही है, जिससे उन्हें डिटेक्ट करना और उनसे निपटना कठिन हो रहा है। पारंपरिक रडार सिस्टम छोटे ड्रोन का पता लगाने में सक्षम नहीं होते, जिससे यह खतरा और बढ़ जाता है।
सैन्य और नागरिक ठिकानों पर खतरा: ड्रोन का उपयोग सैन्य ठिकानों पर हमले के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा, यह नागरिक ठिकानों, जैसे कि भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों या महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी हमला कर सकता है।
सीमावर्ती क्षेत्रों में बढ़ी चुनौतियाँ: मणिपुर जैसे सीमावर्ती राज्यों में ड्रोन हमले सुरक्षा की दृष्टि से और भी ज्यादा संवेदनशील हैं। इन क्षेत्रों में ड्रोन का इस्तेमाल करके सीमा पार से आतंकवादियों और तस्करों द्वारा हमले किए जा सकते हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए रणनीतिक खतरा: ड्रोन हमलों से यह साफ हो गया है कि अगर इस तरह के हमलों को समय रहते नहीं रोका गया, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़े खतरे में बदल सकता है।
निष्कर्ष:
मणिपुर में हुए ड्रोन हमले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत को अपनी ड्रोन विरोधी रणनीतियों को मजबूत करना होगा। सुरक्षा एजेंसियों को इस दिशा में और अधिक सतर्क और तैयार रहना होगा ताकि भविष्य में इस तरह के हमलों से निपटा जा सके।
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