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शुक्रवार, 15 नवंबर 2024

दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया में गैर-मुस्लिमों के साथ भेदभाव, धर्म परिवर्तन के लिए डाला जाता है दबाव

 

दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया में गैर-मुस्लिमों के साथ भेदभाव, धर्म परिवर्तन के लिए डाला जाता है दबाव



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We News 24 » रिपोर्टिंग सूत्र /  मिडिया रिपोर्ट 

नई दिल्ली :- कॉल ऑफ जस्टिस ट्रस्ट की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट में प्रतिष्ठित जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) में गैर-मुसलमानों के साथ भेदभाव और मतांतरण के दबाव के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इस 65 पेज की रिपोर्ट में जामिया के गैर-मुस्लिम फैकल्टी सदस्य, छात्रों, कर्मचारियों और पूर्व छात्रों से बातचीत के आधार पर धार्मिक आधार पर भेदभाव और गैर-मुसलमान लोगों के प्रति पूर्वाग्रह की बात कही गई है।



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रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:

  • गवाही और अनुभव: रिपोर्ट में 27 लोगों की गवाही है, जिसमें सात प्रोफेसर व फैकल्टी सदस्य, आठ-नौ कर्मचारी, 10 छात्र और कुछ पूर्व छात्र शामिल हैं।
  • भेदभाव और दुर्व्यवहार: एक गैर-मुस्लिम महिला सहायक प्रोफेसर ने कहा कि उन्हें शुरू से ही पूर्वाग्रह महसूस हुआ था और मुस्लिम कर्मचारी गैर-मुसलमानों के साथ दुर्व्यवहार और भेदभाव करते थे। एक अन्य गैर-मुस्लिम फैकल्टी सदस्य ने बताया कि उन्हें मुस्लिम सहयोगियों के मुकाबले बैठने की जगह, केबिन व फर्नीचर जैसी सुविधाओं में भेदभाव का सामना करना पड़ा।
  • धार्मिक भेदभाव: अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले एक फैकल्टी सदस्य ने बताया कि केबिन आवंटित किए जाने पर परीक्षा शाखा के कर्मचारियों ने कहा कि कैसे एक 'काफिर' को केबिन दे दिया गया।
  • मतांतरण का दबाव: अनुसूचित जनजाति के एक पूर्व छात्र ने बताया कि एक शिक्षक ने कक्षा में घोषणा की कि जब तक वह इस्लाम का पालन नहीं करता, उसकी एमडी पूरी नहीं होगी। उसके सामने ऐसे छात्रों का उदाहरण रखा गया जिनके मतांतरण करने के बाद अच्छा व्यवहार होने लगा।


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रिपोर्ट तैयार करने की प्रक्रिया:

  • समयावधि और टीम: रिपोर्ट तैयार करने में तीन महीने का वक्त लगा। फैक्ट फाइंडिंग टीम का नेतृत्व दिल्ली हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एसएन ढींगरा कर रहे थे, जबकि छह सदस्यीय टीम में दिल्ली पुलिस के पूर्व आयुक्त एसएन श्रीवास्तव भी शामिल थे।
  • शिकायतें और विरोध: इस वर्ष अगस्त में जामिया मिल्लिया के एक कर्मचारी राम निवास के समर्थन में अनुसूचित जाति और वाल्मीकि समाज के सदस्यों ने जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया था, जिसमें गैर-मुस्लिम होने के कारण जामिया में परेशान करने और भेदभाव का आरोप लगाया गया था। इसके पूर्व भी काल ऑफ जस्टिस को जामिया में गैर-मुसलमानों के उत्पीड़न, मतांतरण और भेदभाव के संबंध में कई अन्य मौखिक और लिखित शिकायतें मिली थीं। प्रारंभिक जांच के बाद आरोपों की विस्तृत जांच के लिए फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन किया गया।


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आगे की कार्रवाई:

  • रिपोर्ट को आगे की कार्रवाई के लिए गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, शिक्षा मंत्रालय और दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना को सौंपी गई है।

यह रिपोर्ट जामिया मिल्लिया इस्लामिया में धार्मिक भेदभाव और मतांतरण के दबाव के आरोपों पर गंभीर ध्यान आकर्षित करती है, और संबंधित अधिकारियों से इस पर उचित कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है। 

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