We News 24 » रिपोर्टिंग सूत्र / आईएमएफ रिपोर्ट
नई दिल्ली :- चीन की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट का सामना कर रही है, जिसमें विदेशी निवेशकों द्वारा भारी मात्रा में धन निकालना भी शामिल है। यह पहली बार है कि निवेशक इस स्तर पर चीन से धन निकाल रहे हैं, जिसका उसके सकल घरेलू उत्पाद पर गहरा असर पड़ा है और उसकी अर्थव्यवस्था डूबने का खतरा है। हाल ही में चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अरबों डॉलर के पैकेज की घोषणा की है, लेकिन शुरुआती संकेत यही हैं कि यह कदम नाकाफी साबित हो सकता है।
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भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रगति
साथ ही, भारतीय अर्थव्यवस्था जबरदस्त गति से बढ़ रही है। हाल ही में आई रिपोर्टों से पता चला है कि भारत दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। जापान के शीर्ष अर्थशास्त्रियों के अनुसार, 2025 तक भारत जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और S&P ग्लोबल रेटिंग्स ने भी इसी तरह के अनुमान लगाए हैं।
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चीन की अर्थव्यवस्था पर संकट
इस साल की तीसरी तिमाही में विदेशी निवेशकों ने चीन से 8.1 अरब डॉलर की भारी रकम निकाली है। पूरे साल की बात करें तो यह रकम 12.8 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई है, जो 1998 के बाद सबसे ज्यादा है। अगर हालात नहीं बदले तो 1990 के बाद पहली बार चीन से एफडीआई का सालाना नेट आउटफ्लो देखने को मिल सकता है।
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अमेरिका में चीन के लिए मुश्किलें
डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिका वापसी भी चीन के लिए बड़ा झटका साबित हो सकती है। उन्होंने अपने चुनावी भाषणों में चीनी सामानों पर 60 फीसदी तक आयात शुल्क लगाने की बात कही थी। अगर ट्रंप अपने वादे पूरे करते हैं तो चीन की जीडीपी पर और असर पड़ सकता है। पिछली तिमाही में चीन का कर्ज-जीडीपी अनुपात 366 फीसदी तक पहुंच गया था, जो गंभीर चिंता का विषय है।
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आईएमएफ ने घटाई चीन की विकास दर
आईएमएफ ने चीन की विकास दर घटाकर 4.8 फीसदी कर दी है, जबकि जिनपिंग सरकार ने 5 फीसदी का लक्ष्य रखा था। अगले साल चीन की जीडीपी 4.5 फीसदी रहने का अनुमान है। इसके अलावा चीन का रियल एस्टेट सेक्टर और बैंकिंग सेक्टर भी मंदी की चपेट में है, जिसके कारण पूरी चीनी अर्थव्यवस्था पर संकट गहराता जा रहा है।
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