We News 24 » रिपोर्टिंग सूत्र / अमित मेहलावत
नई दिल्ली :- दिल्ली-एनसीआर में हर साल वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन जाती है , और इसके प्रबंधन में कई चुनौतियां सामने आई हैं। हर साल सर्दियों के मौसम में वायु गुणवत्ता का स्तर "गंभीर" श्रेणी तक पहुंच जाता है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। इसमें सरकार के प्रयासों के बावजूद वांछित सुधार नहीं दिखाई दे रहा है, जिसका कारण कई स्तरों पर नीतिगत और कार्यान्वयन संबंधी समस्याएं हैं।
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वायु प्रदूषण के बढ़ने के प्रमुख कारण:
- पराली जलाना: पड़ोसी राज्यों में धान की कटाई के बाद पराली जलाने से निकलने वाला धुआं दिल्ली-एनसीआर की हवा में मिल जाता है, जिससे प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ जाता है।
- वाहनों से प्रदूषण: दिल्ली की सड़कों पर वाहनों की संख्या अधिक है, और वाहनों से निकलने वाले धुएं से प्रदूषण में बड़ा योगदान होता है।
- निर्माण कार्य: शहर में जारी बड़े निर्माण कार्य और उससे उठने वाली धूल वायुप्रदूषण को बढ़ावा देती है।
- मौसम की स्थितियां: सर्दियों में कोहरा और हल्की हवाएं प्रदूषकों को फैलने नहीं देतीं, जिससे वायु में प्रदूषक जमा हो जाते हैं।
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सरकार के प्रयास और उनकी सीमाएं:
दिल्ली सरकार और केंद्रीय सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए कई कदम उठाए हैं जैसे:
- ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) का कार्यान्वयन, जिसमें प्रदूषण स्तर के आधार पर विभिन्न आपात कदम उठाए जाते हैं।
- निर्माण कार्यों पर रोक लगाना और सड़कों पर पानी का छिड़काव।
- पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए किसानों को जागरूक करने का प्रयास।
- पब्लिक ट्रांसपोर्ट के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं बनाना।
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चुनौतियां:
इन प्रयासों के बावजूद कई चुनौतियां हैं। पराली जलाने का विकल्प न मिलने की वजह से किसान अभी भी इसे जलाने के लिए मजबूर हैं। वाहनों की संख्या कम करने के लिए कारगर विकल्पों की कमी, और लोगों की बढ़ती जरूरतों ने समस्या को और बढ़ा दिया है। इसके अलावा, दिल्ली के पास पर्याप्त हरियाली न होना भी एक बड़ा कारण है जो प्रदूषण कम करने में सहायक नहीं है।
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सरकार के प्रयास सराहनीय हैं, लेकिन इस मुद्दे को सुलझाने के लिए स्थायी और कठोर कदमों की आवश्यकता है। इसके लिए सरकारी विभागों के बीच बेहतर समन्वय, जागरूकता बढ़ाने और सख्त नियमों का पालन आवश्यक है।
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