We News 24 » रिपोर्टिंग सूत्र / विवेक श्रीवास्तव
उत्तर प्रदेश:- कौशांबी में वक्फ संशोधन विधेयक के संदर्भ में जो कार्रवाई हुई है, वह देशभर में एक उदाहरण बन सकती है। कड़ा धाम में 96 बीघा भूमि को लेकर एडीएम (न्यायिक) द्वारा की गई कार्रवाई के बाद शासकीय अधिवक्ता ने शासन को छह बिंदुओं पर सुझाव दिए हैं, जिनमें से कुछ को शासन ने स्वीकार कर लिया है।
इस मामले में, वक्फ बोर्ड द्वारा दावा की गई यह जमीन अब ग्राम समाज के नाम दर्ज हो गई है। एडीएम (न्यायिक) ने 2 दिसंबर 2022 को यह आदेश जारी किया था, और उच्च न्यायालय ने उन्हें प्रकरण का निस्तारण करने का आदेश दिया था।
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सैयद नियाज अशरफ अली ने पहले यह दावा किया था कि यह जमीन अलाउद्दीन खिलजी के समय में ख्वाजा कड़क शाह को माफीनामा के तहत दी गई थी। उन्होंने 1945 में दीवानी अदालत में मुकदमा दायर किया था, लेकिन अदालत ने इसे वक्फ संपत्ति नहीं माना। इसके बाद भी, उन्होंने 1974 में फिर से मुकदमा दायर किया, लेकिन परिणाम वही रहा। अंततः, चकबंदी अधिकारी ने 14 मई 1979 को भूमि को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया।
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यह मामला उच्च न्यायालय तक पहुंचा, जहां ग्राम सभा ने अपना पक्ष रखा। इस संदर्भ में कोर्ट ने वक्फ संपत्ति मानने से मना कर दिया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि भूमि का कब्जा और उसके अधिकारों को लेकर कानूनी प्रक्रिया कितनी महत्वपूर्ण है।
यह निर्णय न केवल कौशांबी के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल हो सकता है कि कैसे भूमि विवादों का निपटारा कानूनी ढंग से किया जा सकता है।
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